
राष्ट्र के आर्थिक विकास में उच्च शिक्षा का महŸवपूर्ण योगदान है। वर्तमान समय में शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गये है। नई शिक्षा नीति का उददेश्य स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक समय के अनुसार पाठ्यक्रम में बदलाव और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं को प्रतिस्पर्धी परिवेश के लिए तैयार करना है।
वैश्वीकरण के बाद की नई स्थितियों में शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव की बड़ी जरूरत थी, इसी को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालय का लक्ष्य विचारों और नवाचारों के विकास के लिए एक केन्द्र स्थापित करना है जो महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को प्रबुद्ध करने के साथ ही देश को सामाजिक, सांस्कृतिक, कलात्मक, वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक रूप से आगे बढ़ने में मदद करेंगे।
कोरोना जैसी महामारी के समय महाविद्यालय के सभी शिक्षकों ने ग्रामीण परिवेश में भी सूचना क्रांति का प्रयोग कर छात्र-छात्राओं के आॅनलाइन शिक्षण के साथ-साथ नवाचारों को प्रयोग कर शिक्षा की अलख को जलाये रखा। महाविद्यालय शैक्षणिक उत्कृष्टता को बनाए रखने के लिए छात्र-छात्राओं को विभिन्न पाठ्यचर्या और पाठ्येत्तर गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।
महाविद्यालय प्रबन्धन का स्पष्ट लक्ष्य है- राष्ट्र का नव निर्माण एवं महाविद्यालय को देश के अन्य शिक्षण संस्थानों के समक्ष खडा कर ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को नई दिशा देकर उन्हें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हेतु प्रेरित करना।
हर्ष विद्या मन्दिर (पी0जी0) काॅलेज, रायसी, (हरिद्वार) अपने छात्र-छात्राओं को नए भारत के अनुरूप बनाकर राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाने का निरंतर प्रयास कर रहा है।
सभी के उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ।
डा. राजेश चन्द्र पालीवाल
प्राचार्य